गौतमबुद्ध नगर की SDM श्रीमती दुर्गा शक्ति नागपाल जो २०१० कैडर की IAS आधिकारी है और जिनके ऊपर लगाए गए आरोप " एक धार्मिक स्थल की बनती हुई दीवार को गिराने का है" जिससे उत्तरप्रदेश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की आशंका थी और सत्तारुड पार्टी के नेता के अनुसार किया गया एक बहुत ही दुरदार्शिता से परिपूर्ण फैसला है जिसके लिए प्रदेश सरकार प्रशंशा की पात्र है , और इससे प्रदेश सरकार ने पुरे उत्तरप्रदेश को दंगे की आग में झुलसने से बचा लिया है, लेकिन इस फैसले को करते हुए प्रदेश सरकार यह भूल गई की आज समुचा देश उस युवा SDM जो अवैध रेत की खनन को रोकने में बहुत हद तक कामयाबी पाई उससे पूरी तरह से जुड़ा हुआ है.
इस फैसले से एक बार फिर ये साबित हो गया की नेता अपने हित के आगे किसी भी नौकरशाह चाहे वो श्रीमती दुर्गा शक्ति हो अशोक खेमका हो संजीव चतुर्वेदी हो या सतेन्द्र दुबे हो याफिर बहुत से अन्य किसीको भी कुछ नहीं समझते ,हमारे जैसे आम लोग हमेशा से यही समझते थे की एक जिले में IAS से ज्यादा पॉवर किसी की भी नहीं होती है लेकिन विडम्बना ये है की आज एक IAS उन नेताओ के गुलाम बन कर रह गए है जो चुने जाने बाद अपने आप को उस क्षेत्र का राजा समझने लगते है जबकि वो ये पूरी तरह से भूल जाते है की उनकी जबाबदारी सीधे जनता से होती है.
घटना जिस जिले से है वहाँ रोजाना इस अवैध्य खनन से ४ करोड़ का कारोबार होता है और राशी इतनी बड़ी है जिसके सामने रोकने के सारे उपाए छोटे हो जाते है इसके फलस्वरूप अनुमानित राशी सालाना US $ 17 मिलियन की हो जाती है, इसको रोकने के लिए सरकार ने एक SPECIAL MINING SQUAD का गठन किया जो पुरे तरीके से इसको रोकने में नाकाम हो गया था उस वक़्त श्रीमती दुर्गाशक्ति नागपाल ने 297 से भी जयादा ट्रक को पकड़ा और उनसे करीब 82. 34 लाख की राशी दंड के रूप में वसूल किया और करीब 22 से ज्यादा मुकद्दमे दर्ज कराये और करीब 17 लोग के खिलाफ FIR दर्ज किया और 23 जुलाई को कड़े शब्दों में उन सभी खनन माफियाओ के खिलाफ आवाज बुलंद की इसमें उनके ही एक सहयोगी आशीष कुमार को अगले ही दिन बर्खास्त कर दिया गया और सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की आड़ में कुछ दिनों के बाद उन्हें भी बर्खास्त कर दिया गया।
इसी प्रकार अशोक खेमका को पिछले 22 वर्षो से एक वरिष्ठ IAS अधिकारी है और उनका तबादला पिछले अप्रैल में कुल 44 बार हो चूका है वो हरियाणा में है और 1991 कैडर के अधिकारी है और उनक मामला मीडिया ने तब दिखाया जब उन्होंने DLF और रोबर्ट वाड्रा के बिच हुए विवादस्पद भूमि समझोते को देश के सामने रखा उससे पहले उन्होंने न जाने कितने भूमि की अवैध खरीद्फरोक्थ को उजागर किया जिसके फल स्वरुप वो औसतन हर विभाग में तक़रीबन 6 महीने ही टिक पाए और वो आज भी इस पुरे तंत्र से अकेले ही लड़ रहे है।
उसी प्रकार सिवान के इंजिनियर सतेन्द्र दुबे जिन्होंने NHAI में हो रहे भ्रष्ट्राचार को उजागर किया और उसके फलस्वरूप उनकी हत्या कर दी गई. ऐसे तमाम उदाहरण है जो मेरी इस बात पे पूरी तरह से खरे साबित होते है की नेताओ को नौकरशाह एक ऐसे सेनापति की तरह चाहिए जो उनकी रक्षा हर क़ानूनी एवं गैरकानूनी कार्य में करे न की वो नौकरशाह समाज एवं जनता की रक्षा करे।
उदहारण के तौर पर सपा नेता नरेन्द्र भट्टी ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए डंके की चोट पे कहा की उन्होंने श्रीमती दुर्गाशक्ति नागपाल को मात्र 41 मिनट में बर्खास्त करा दिया और वही पे उपस्थित आम जनता उनका ताली बजा कर उनके इस बात पर गर्व महसूस कर रही थी, मेरे कहने का मतलब ये है की हम सब भी कही न कही इस समाज को दूषित करने में अपना योगदान दे रहे है वरना पहले जहा उस गाँव के निवासी खुद ही कबूल कर रहे थे की श्रीमती नागपाल ने कुछ भी गलत नहीं किया वही आज वो चन्द सियासत के ठेकेदारों के कहने पे घटना की पूरी जिम्मेदारी श्रीमती नागपाल पे लगा रहे है.
जिस गाँव में बिजली,सड़क, पानी एवं शिक्षा जैसी मुलभुत सुविधाओं का आभाव है वहा की जनता इन सब के बजाये मस्जिद जैसी समस्याओ पे अपना ध्यान केन्द्रित कर रही है, आज जरुरत है हमें एक ऐसे समाज की जो प्राथमिकताओं को समझे और ऐसे अराजक तत्व जो राजनीती एवं हर उस क्षेत्र में अपनी पकड़ बना चुके है उन्हें जड़ से उखाड़ कर फेक दे और इस सभ्य समाज में
निर्भीक एवं कर्मथ्य अधिकारियो को अपना काम स्वतंत्रता से करने का मौका दे तभी इस समाज और इस देश का कल्याण होगा और हम प्रगति के रस्ते पे प्रसस्त होंगे क्योंकि समाज के विकास से ही देश विकसित करेगा।
अंशुमन श्रीवास्तव
इस फैसले से एक बार फिर ये साबित हो गया की नेता अपने हित के आगे किसी भी नौकरशाह चाहे वो श्रीमती दुर्गा शक्ति हो अशोक खेमका हो संजीव चतुर्वेदी हो या सतेन्द्र दुबे हो याफिर बहुत से अन्य किसीको भी कुछ नहीं समझते ,हमारे जैसे आम लोग हमेशा से यही समझते थे की एक जिले में IAS से ज्यादा पॉवर किसी की भी नहीं होती है लेकिन विडम्बना ये है की आज एक IAS उन नेताओ के गुलाम बन कर रह गए है जो चुने जाने बाद अपने आप को उस क्षेत्र का राजा समझने लगते है जबकि वो ये पूरी तरह से भूल जाते है की उनकी जबाबदारी सीधे जनता से होती है.
घटना जिस जिले से है वहाँ रोजाना इस अवैध्य खनन से ४ करोड़ का कारोबार होता है और राशी इतनी बड़ी है जिसके सामने रोकने के सारे उपाए छोटे हो जाते है इसके फलस्वरूप अनुमानित राशी सालाना US $ 17 मिलियन की हो जाती है, इसको रोकने के लिए सरकार ने एक SPECIAL MINING SQUAD का गठन किया जो पुरे तरीके से इसको रोकने में नाकाम हो गया था उस वक़्त श्रीमती दुर्गाशक्ति नागपाल ने 297 से भी जयादा ट्रक को पकड़ा और उनसे करीब 82. 34 लाख की राशी दंड के रूप में वसूल किया और करीब 22 से ज्यादा मुकद्दमे दर्ज कराये और करीब 17 लोग के खिलाफ FIR दर्ज किया और 23 जुलाई को कड़े शब्दों में उन सभी खनन माफियाओ के खिलाफ आवाज बुलंद की इसमें उनके ही एक सहयोगी आशीष कुमार को अगले ही दिन बर्खास्त कर दिया गया और सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की आड़ में कुछ दिनों के बाद उन्हें भी बर्खास्त कर दिया गया।
इसी प्रकार अशोक खेमका को पिछले 22 वर्षो से एक वरिष्ठ IAS अधिकारी है और उनका तबादला पिछले अप्रैल में कुल 44 बार हो चूका है वो हरियाणा में है और 1991 कैडर के अधिकारी है और उनक मामला मीडिया ने तब दिखाया जब उन्होंने DLF और रोबर्ट वाड्रा के बिच हुए विवादस्पद भूमि समझोते को देश के सामने रखा उससे पहले उन्होंने न जाने कितने भूमि की अवैध खरीद्फरोक्थ को उजागर किया जिसके फल स्वरुप वो औसतन हर विभाग में तक़रीबन 6 महीने ही टिक पाए और वो आज भी इस पुरे तंत्र से अकेले ही लड़ रहे है।
उसी प्रकार सिवान के इंजिनियर सतेन्द्र दुबे जिन्होंने NHAI में हो रहे भ्रष्ट्राचार को उजागर किया और उसके फलस्वरूप उनकी हत्या कर दी गई. ऐसे तमाम उदाहरण है जो मेरी इस बात पे पूरी तरह से खरे साबित होते है की नेताओ को नौकरशाह एक ऐसे सेनापति की तरह चाहिए जो उनकी रक्षा हर क़ानूनी एवं गैरकानूनी कार्य में करे न की वो नौकरशाह समाज एवं जनता की रक्षा करे।
उदहारण के तौर पर सपा नेता नरेन्द्र भट्टी ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए डंके की चोट पे कहा की उन्होंने श्रीमती दुर्गाशक्ति नागपाल को मात्र 41 मिनट में बर्खास्त करा दिया और वही पे उपस्थित आम जनता उनका ताली बजा कर उनके इस बात पर गर्व महसूस कर रही थी, मेरे कहने का मतलब ये है की हम सब भी कही न कही इस समाज को दूषित करने में अपना योगदान दे रहे है वरना पहले जहा उस गाँव के निवासी खुद ही कबूल कर रहे थे की श्रीमती नागपाल ने कुछ भी गलत नहीं किया वही आज वो चन्द सियासत के ठेकेदारों के कहने पे घटना की पूरी जिम्मेदारी श्रीमती नागपाल पे लगा रहे है.
जिस गाँव में बिजली,सड़क, पानी एवं शिक्षा जैसी मुलभुत सुविधाओं का आभाव है वहा की जनता इन सब के बजाये मस्जिद जैसी समस्याओ पे अपना ध्यान केन्द्रित कर रही है, आज जरुरत है हमें एक ऐसे समाज की जो प्राथमिकताओं को समझे और ऐसे अराजक तत्व जो राजनीती एवं हर उस क्षेत्र में अपनी पकड़ बना चुके है उन्हें जड़ से उखाड़ कर फेक दे और इस सभ्य समाज में
निर्भीक एवं कर्मथ्य अधिकारियो को अपना काम स्वतंत्रता से करने का मौका दे तभी इस समाज और इस देश का कल्याण होगा और हम प्रगति के रस्ते पे प्रसस्त होंगे क्योंकि समाज के विकास से ही देश विकसित करेगा।
अंशुमन श्रीवास्तव
Kch log kehte hai vyavastha ko badal,e ke liye vayavastha ka hissa bano tbhi badlav aayega pr uska bhi nateja dekh liya
ReplyDeletesahi keh rahe ho dost durga Shakti ko uss सामप्रदायिक मामले में नहीं बल्कि खनन माफिया के खुलासे के मामले मे हटाया गया
हमारी जनता सामप्रदायिक मामलों पर ज्यादा भावुक हैं
वो तो अपनी निजी समस्या भी भूल जाती है
बिल्कुल सही कहा रिषभ यह सरकार की नपुंनसकता ही है जो अधिकारीओ को अपना काम ठीक ढंग से नही करने दे रहे है और कुछ भ्रष्ट लोगों के दबाव मे संविधान का अनादर किए जा रही हैं
ReplyDeleteaacha likha hai
ReplyDeletethankyou bhaiya
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