"अंत
भला तो
सब भला"
अंततः गुजरात
के मुख्यमंत्री
की पदोन्नति
हिंदुस्तान के
प्रधानमंत्री के
रूप में
हो गयी।
जिस लक्ष्य
को प्राप्त
करने के
लिए श्री
मोदी ने
साल भर
से अधिक
समय तक
अथक परिश्रम
किया उसे
वो प्राप्त
करने में
सफ़ल हो
गए। पुरानी
गतिविधियों पे
गौर तो
भारत के
बुद्धजीवी अपने
अपने ढंग
से करेंगे
ही, मै
आने वाले
समय को
लेकर ज्यादा
आशांवित हूँ।
वैसे मोदी
के प्रधानमंत्री
बनते ही
परिवर्तन का
आभाष होने
लगा है
कुछ समय
पहले तक
सब ये
पूछते थे
की भाजपा
आने से
भारतीय अर्थव्यस्था
पर असर
पड़ेगा क्या?
ये एक
ऐसा प्रश्न
था जिसे
लेकर हर
कोई अपनी
बात पिछले
कुछ वर्षो
से कहता
था,और
अगर बॉम्बे
स्टॉक एक्सचेंज
के अंको
को सुधरती
अर्थव्यस्था के
चश्मे से
देखेंगे तो
कुछ हद
तक पूर्व
में पूछे
गए प्रश्न
का उत्तर
हमें मिल
सकता है,
बाजार में
उछाल का
माहौल है,
मोटा मोटी
ये मान
सकते है
की लोगो
का बाजार
पे विश्वास
बढ़ा है
जिससे वो
अपना धन
बाजार में
लगा रहे
है, इसके
फायदे भी
देखने को
मिल रहे
है मसलन
हमारा रुपैया
मजबूत हुआ
है।
इसी ब्लॉग
पर रुपैये
की बिगड़ी
हालत पर
मैंने लिखा
था और
आज करीब
करीब 8 महीनो
के बाद
रुपैया अपनी
शान में
वापस लौट
आया है
आज सभी
मुद्राओं में
भारतीय मुद्रा
सबसे अच्छा
प्रदर्शन कर
रही है
और इसके
पीछे की
वजह राजनीतिक
तख्ता पलट
है इससे
इंकार नहीं
किया जा
सकता। पिछले
3 जून को
प्रधानमंत्री ने
79 सचिवो के
साथ बैठक
की और
जिस अंदाज़
में बैठक
की गई
उससे निश्चित
ही निष्क्रिय
पड़ चुके
सरकारी तंत्र
में कुछ
हलचल पड़ी
होगी,मोदी
ने सभी
सचिवो से
निर्भीक हो
कर काम
करने की
सलाह और
इसी मंशा
से उन
सभी सचिवो
को उनके
संबंधित मंत्रियो
के बिना
बुलाया। सभी
सचिवो से
पिछले कार्यकाल
की उपलब्धि
और नाकामी
और आने
वाले 5 सालो
का खाका
खीचने के
लिए 10 स्लाइड्स
के प्रेजेंटेशन
की मांग
की।
सभी सचिवो
को विभिन्न
समूहों में
A से
G तक बाट
दिया गया
है और
आगे से
सभी मीटिंग्स
मोदी इन्ही
समूहों के
अनुसार निर्धारित
करेंगे। उदहारण
के लिए
वित्त विभाग
के सभी
सचिव GROUP-A में
आएंगे इसी
तरह से
सारे मुख्य
विभाग क्रमशः
B से G तक
में बांटा
गया है।
मोदी ने
आने वाले
100 दिनों के
लिए विभिन्न
विभागों को
एक दिशानिर्देश
देते हुए
अपने अपने
अजेंडे बनाने
को कहा
है।
इसी तरह
चुनाव में
जो MINIMUM GOVERNMENT MAXIMUM GOVERNANCE के
मुद्दो को
आगे बढ़ाते
हुए मोदी
के कैबिनेट
सचिव अजित
सेठ ने
सभी सचिवो
को 11 सूत्रीय
निर्देश भेजा
है जिसमे
सरकारी कार्यालय
के सम्बंधित
कामकाज को
सुदृढ़ करने
पर जोर
देने को
कहा है।
साथ ही
उन्होंने वर्किग
कल्चर और
कार्यालय के
वातावरण को
और बेहतर
करने के
लिए कहा
है।
उनके 11 सूत्रीय
निर्देश में
प्रमुख है
- कार्यालयों की सफाई एवं कार्यालयों के गलियारों-सीढ़ियों सफाई। इन जगहों पर कार्यालय संबंधित सामग्री या अलमारी नहीं दिखनी चाहिए।
- कार्यालयों के अंदर फाइलों और कागजो को व्यवस्थित करके रखा जाए, जिससे काम करने का सकारात्मक माहौल बने।
- कार्यालयों के साज-सज्जा और उसकी सफाई के संदर्भ में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट 6 जून से हर रोज कैबिनेट सचिव के पास पहुंचनी चाहिए।
- सभी विभागों से कहा गया है कि वे उन 10 नियमों को बताएं या खत्म करें, जो अनावश्यक हैं, जिनका कोई मतलब नहीं है और उनको हटाने से कामकाज पर कोई प्रभाव नहीं पडेगा।
- सभी विभागों के सचिवों को फॉर्म को छोटा करने का निर्देश दिया गया है। हो सके तो संबंधित विभागों के फॉर्म एक पेज का किया जाए।
- किसी भी काम पर निर्णय लेने की प्रकिया चार चरण से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- काम को लटकाने की प्रवृत्ति खत्म की जाए। किसी भी फाइल या पेपर को तीन से चार सप्ताह के अंदर क्लियर किया जाए।
- नौकरशाह पावर प्वाईंट प्रजेंटेशन बनाएं, संक्षिप्त व प्रभावी नोट तैयार करें। फाइलों को भारी भरकम बनाने से बचें।
- सभी सचिवों से 2009-14 के लिए तय किए गए लक्ष्य और उसकी वर्तमान स्थिति के बारे में विश्लेषण करने को कहा गया है। इसकी रिपोर्ट प्रधानमंत्री को दी जाएगी।
- सभी विभागों को एक टीम की तरह काम करने को कहा गया है। सभी स्तर पर नए विचारों का स्वागत किया जाए।
- सचिवों से सहयोगपूर्ण निर्णय लेने की प्रक्रिया की आवश्यकता बताई गई है। जैसे अगर कोई विभाग किसी मसले को सुलझा नहीं पाता है तो वे कैबिनेट सचिव या प्रधानमंत्री कार्यालय से संपर्क करें।
मोदी चाहते हैं कि सभी विभाग उनकी कार्यशैली को अपनाएं ताकि निर्णय लेने की प्रक्रिया तेज हो सके और विकासकार्य रफ्तार पकड़ सकें। निश्चित ही ऐसे उपायो वो अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे। और जरुरी है की हमारी थकाऊ और उबाऊ सरकारी वयस्था में कुछ नयापन आये तभी शायद कुछ अमूल-चूल परिवर्तन जिसे हम सब चाहते है संभव हो सके।वैसे मोदी ने अपने स्वभाव में परिवर्तन किये बिना युद्ध स्तर पर काम शुरू किया है वैसे कदमो का असर दिखने में कितना वक़्त लगता है पता नहीं परन्तु दिखे इसकी आशा तो हम कर ही सकते है।
अंशुमान श्रीवास्तव।