आजकल बादल पुणे में बहुत बरस रहे है और इन्ही बादलो की तरह राजनीती भी कुछ ऐसी ही हो गई है जो हर मौके दस्तूर पर बिना पूर्व सूचना दिए बरस रही है और ऐसी बरस रही है जिससे क्या नेता क्या अभिनेता या क्या सरहदों पे रक्षा कर रहे सैनिक, सब खूब भींग रहे है और इन बारिशों में सबसे ज्यादा उन नेताओ की फसल लहरा रही है जो हमेशा से इन्ही सब मौके की तलाश में रहते है लेकिन इन बारिशो में वो ये भूल ही जाते है की फसल को नुकसान भी सबसे ज्यादा बारिश से ही होता है।
ठीक ऐसा ही हमारे सुशाशन बाबु के साथ हो रहा है, २३ बच्चों की मौत पे जाने का समय भले न हो, ३ नौजवान सैनिको की चिताओ को सलाम करने का समय भले न हो लेकिन सेवैयाँ खाने का समय जरुर है और बात बात पर बीजेपी और राजद को एकसाथ दिखने का प्रयास करते रहने का
मगर सुशानन बाबु आप ये भूल ही जाते है की आप कौन सी राजनीती कर रहे है ये सब को पता है और समाज की इस धरा का समर्थन कभी भी किसी राजनीतिक दल को सत्ता की चासनी में डूबने
का सुख नहीं दे पाया है और अगर इस सत्य को आप जितनी जल्दी समझ ले उतना ही ये बिहार की
जनता और खास कर आपके लिए फायेदेमंद होगा।
आजकल C ग्रेड को लेकर बड़ा होहल्ला हो रहा है , कही ऐसा न हो जाये इंग्लिश अल्फाबेट से C अपना नाता तोड़ ले और रूठ जाये क्यूकी हर कोई C को बड़ा बुरा मान रहा है। पता नहीं उमा भारती जी
को C अल्फाबेट से क्या दिक्कत हो गई है वैसे दिग्विजय सिंह जी का नाम तो D से आता है फिर भी
उन्होंने रजा मुराद को C ग्रेड का अभिनेता क्या बोल दिया हर कोई एकदूसरे को C शब्द से पुकार रहा है
इसमें मेरा एक दोस्त है Siddh जिसे हम CD बुलाते है वो बड़े तकलीफ में है , वो तो ये सुन कर उमाजी
को बहुत बुरा भला कह रहा था वैसे उसपे रजा मुराद फिर से जींह की तरह एकबार फिर प्रकट हुए और
उल्टा उन्होंने उमाजी को C की संज्ञा दी , बहुत बुरा हो रहा है अगर मै C की जगह होता तो दोनों पर
मानहानि का मुकद्दमा जरुर करता।
दूसरी तरफ एक शरीफ़ साहब है नाम के बिलकुल उलटे उनका नाम रखते वक़्त जरुर उनकी अम्मी ने अमावस में
चाँद के सपने देखे होंगे। जो बोलते है उसके उलट हमेशा ही करते है चाहे वो कारगिल हो या हाल में हुए
कश्मीर की घटना , और ऊपर से हमारे अंटोनी साहब १२१ करोड़ की देश के वो रक्षा मंत्री अपनी ही पार्टी से
डरते फिरते रहते है और आलम ये है की रोज नए नए बयान देते है वो भी पुराने वाले का उल्टा ऐसा लगता
है वो बचपन की बातों को बड़ा संजीदगी से लिया है की बीती बातों को भूल कर हमेशा कुछ नया बोले।
इनसब के ऊपर हमारे सिंह साहब !!!!!! अब इनपे कुछ लिखने के मुड में मै नहीं हु आप सब खुद ही
समझदार है।
राजनीती बड़ी अच्छी बात होती है और जब राजनेता करते है तब अच्छा भी लगता है क्युकी उनके पास कोई
और काम भी नहीं होता है लेकिन आशा करता हूँ कुछ संवेदनशीलता वो बरते तभी उन्हें करने में मजा आयेगा और हमें
देखने में , मेरा आशावादी रुख अभी भी बहुत स्पस्ट है।
अंशुमन श्रीवास्तव